Tuesday 10 May 2011

आरटीआइ दायरे में सहकारी बैंक खेल संघ और निजी स्कूल

दैनिक जागरण (Rashtriya)
चंडीगढ़ से दयानंद शर्मा जी ने बताया है---
आरटीआइ दायरे में सहकारी बैंक खेल संघ और निजी स्कूल

 केंद्र और राज्य सरकार के अधीन आने वाले विभाग ही नहीं खेल संघ, सहकारी बैंक, चीनी मिलें तथा निजी स्कूल भी आरटीआइ के दायरे में आते हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को दर्जन भर मामलों को एक साथ निपटाते हुए यह बात कही। अदालत ने अपने आदेश में कहा, संघ और संस्थाएं सरकार से वित्तीय सहायता लेती हैं। अत: यह जन अथॉरिटी हैं, और उन्हें जनता द्वारा मांगी जाने वाली सूचना मुहैया करानी होगी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश एमएस सूलर ने अनिल कश्यप की याचिका समेत दर्जन भर मामलों का एक साथ निपटारा करते हुए कहा, सभी निजी स्कूल, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन मोहाली, लॉन टेनिस एसोसिएशन जालंधर, सतलुज क्लब लुधियाना पर पब्लिक अथॉरिटी के नाते यह निर्णय लागू होगा। हरियाणा-पंजाब की सभी कोऑपरेटिव शुगर मिल, हाउसिंग सोसाइटी व बैंक प्रबंधन सोसाइटी रजिस्ट्रार के यहां पंजीकृत हैं। ऐसे में इन पर सरकार का नियंत्रण बनता है। ऐसी स्थिति में उन्हें भी जनता द्वारा मांगी जाने वाली सूचना मुहैया करानी होगी। न्यायाधीश ने कहा, सूचना अधिकार कानून संस्थाओं में पारदíशता बढ़ाने के लिए बनाया गया था लेकिन संगठन इसे नाकाम करने में लगे हैं। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता अनिल कश्यप ने पीसीए से संघ के सदस्यों, मोहाली क्रिकेट स्टेडियम व कुछ अन्य विषयों के बारे में कुछ सूचनाएं मांगी थी। पीसीए द्वारा सूचना देने से इनकार करने पर कश्यप ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। गत वर्ष सिंतबर में हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मुकुल और न्यायाधीश अजय तिवारी की खंडपीठ ने करनाल सहकारी चीनी मिल की याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि सार्वजनिक क्षेत्र से जुडी होती हैं और इस कारण वह सूचना के अधिकार के तहत सूचना देने के लिए बाध्य हैं।

Friday 6 May 2011

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के लिए नियम बनाने का आदेश दिया

 अदालत ब्लोग्पोस्त के लोकेश के अनुसार---
सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के मद्देनजर एक उचित जनहित याचिका की पहचान करने के लिए उच्च न्यायालयों को आठ सूत्री व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही अदालत ने उत्तराखण्ड हाई कोर्ट में एक अनुचित जनहित याचिका दायर करने के लिए वहां के एक वकील पर एक लाख रूपए का जुर्माना कर दिया है। न्यायाधीश दलवीर भंडारी और न्यायाधीश मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों को कहा है कि उचित और अनुचित पीआईएल में अंतर स्पष्ट करने के लिए उन्हें तीन महीनों के भीतर अपने नियम बना लेने चाहिए तथा अदालतों को उचित और प्रामाणिक पीआईएल को हर हाल में प्रोत्साहित करना चाहिए और उन पीआईएल को दरकिनार कर देना चाहिए जिन्हें अनुचित परिणामों के लिए दायर किया गया हो।

इसके साथ ही अदालत ने नैनीताल के वकील बलवंत सिंह चौफाल पर एक लाख रूपए का जुर्माना ठोक दिया। सिंह ने राज्य के महाधिवक्ता एल.पी.नैथानी की 2001 में की गई नियुक्ति पर सवाल खड़े करने की गुस्ताखी की थी। पीठ ने कहा कि जनहित याचिकाओं पर विचार करने के लिए हर न्यायाधीश अपनी व्यक्तिगत प्रक्रिया अपनाएं, इसके बदले उचित यह होगा कि हर हाई कोर्ट उचित पीआईएल को प्रोत्साहित करने तथा गलत इरादों से दायर की गई पीआईएल को दरकिनार करने के लिए ठीक से नियम बनाए।